महेश्वर का पूर्व नाम महिष्मति है आज का महेश्वर एक विकसित पर्यटन स्थल है, मध्यप्रदेश शासन द्वारा पवित्र नगरी का दर्जा प्राप्त है | लेकिन वस्तुतः महेश्वर देवी अहिल्या बाई होलकर की कुशल शासन कला , धार्मिकता और बुद्धिमत्ता का जीता जागता गवाह है।
नौका विहार के लिए सुंदर नौकाएं हैं, स्वच्छ और पवित्र नर्मदा नदी है , स्नान के लिए सुंदर व्यवस्थित घाटों की श्रंखला है। अनेकानेक शिवालय और मंदिरों की श्रंखला के कारण ही महेश्वर को गुप्तकाशी भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक ज्ञान देने के लिए देवी अहिल्या का राजवाड़ा है, 2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सुरक्षा देने वाला 500 फुट ऊंचा किला है । महेश्वर का अपना पौराणिक महत्व है सहस्त्रार्जुन से लेकर मंडन मिश्र और आदि शंकराचार्य के शास्त्रार्थ की दास्तां है महेश्वर वायु पुराण नर्मदा पुराण स्कंद पुराण इत्यादि में वर्णित महिष्मति नगरी आज आज का महेश्वर है।
लगभग 2500 साल पुराने इस शहर को होल्कर वंश में 1818 तक अपनी राजधानी रखा था 17वीं शताब्दी में हैदराबादी बुनकरों द्वारा प्रारंभ की गई माहेश्वरी साड़ी आज भी साड़ियों का एक बड़ा ब्रांड है और महेश्वर इन माहेश्वरी साड़ियों के निर्माण और व्यवसाय का बड़ा केंद्र है।
महेश्वर का पौराणिक महत्व और इतिहास महेश्वर के अत्यंत गौरवशाली पौराणिक इतिहास के कारण ही देवी अहिल्या ने महेश्वर को राजधानी बनाया था |
इसके पूर्व महत्वपूर्ण इतिहास में यह शहर पंडित मंडन मिश्र वह उनकी धर्मपत्नी विदुषी भारती देवी की विद्वता से प्रकाशित हुआ करता था ......पूरा पढ़िए |
महेश्वर मंदिरों और देवालयों का नगर है | यहाँ शिव मंदिर बहुतायत से हैं | इसी कारण यहाँ निवास करना संत तपस्वी गण पसंद करते हैं , इसे "गुप्त काशी " भी कहा जाता है | यहाँ के मुख्य मंदिरों में श्री राजराजेश्वर मंदिर, काशी-विश्वनाथ , अहिल्येश्वर महादेव , ज्वालेश्वर ......पूरा पढ़िए |
प्राचीन भारतीय निर्माण कला , युद्ध कौशल और रक्षा निति का एक उत्तम उदाहरण हे महेश्वर का किला | लगभग २ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सुरक्षा देने वाले इस किले के निर्माण का समय 4थी से 5वीं शताब्दी के मध्य का आंका जाता है | किले के ......पूरा पढ़िए |
महेश्वर में राजवाड़ा किले के अंदर बना हुआ हे, और अवश्य देखा जाना चाहिए | यही वह स्थान है
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"ईश्वर ने मुझ पर जो जिम्मेदारी सौंपी है, मुझे उसे निभाना है।
प्रजा को सुखी रखने व उनकी रक्षा का भार मुझ पर है।
सामर्थ्य व सत्ता के बल पर मैं जो कुछ भी यहाँ कर रही हूँ, उस हर कार्य के लिए मैं जिम्मेदार हूँ ......पूरा पढ़िए |
महेश्वर पांचवी शताब्दी से ही हस्तकरघा बुनकरों का केंद्र रहा है आज भी महेश्वर में बेहतरीन साड़ियां हस्तकरघा लूम द्वारा बनाई जाती है । महेश्वर में बनी महेश्वरी साड़ियों की देश में अलग ही पहचान और स्थान है। महेश्वरी साड़ियों के निर्माण की वर्तमान व्यवस्था भी देवी अहिल्या ......पूरा पढ़िए |
महेश्वर अपने जिला मुख्यालय खरगोन से लगभग 40 किलोमीटर है | जबकि मध्य भारत के मुख्य व्यवसायिक केंद्र इंदौर से 90 किलोमीटर है |
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पश्चिम में महेश्वर लगभग 55 किलोमीटर है, जबकि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन से इसकी दूरी लगभग 150 किलोमीटर है |
हवाई मार्ग : समीपस्थ हवाई ......पूरा पढ़िए |