महेश्वर का किला

प्राचीन भारतीय निर्माण कला , युद्ध कौशल और रक्षा निति का एक उत्तम उदाहरण हे महेश्वर का किला | लगभग २ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सुरक्षा देने वाले इस किले के निर्माण का समय 4थी से 5वीं शताब्दी के मध्य का आंका जाता है | किले के वर्तमान स्वरुप का निर्माण 17 से 18 शताब्दी के मध्य का माना जाता है | अब यह किला अनेक स्थानों से टूट फुट गया है , अनेक स्थानों पर किले की नीव दीवारे गायब है , पर आज की स्थिति बताती हे की यह किला निर्माण के समय में अति सुद्रढ़ रहा होगा |
छोटे बड़े पांच मुख्य द्वार, अन्य किलों की भाति इसमें बड़े दरवाजे द्वारपालों के कक्ष और लगभग बीस बुर्ज वाले इस किले से अपनी प्राचीरों से तोप, तीर ,बन्दुक इत्यादि चलाने के लिए इसे सुसज्जित किया था | प्राचीर पर पांच फुट चौड़ी पैदल पट्टी बनी हुई है |
किले के अंदर ही सारे महत्वपूर्ण देखने लायक स्थान हैं जेसे राजवाडा , अहिल्या देवी का पूजन स्थान (स्वर्ण का झूला) , राजराजेश्वर मंदिर इत्यादि

महेश्वर का पौराणिक महत्व और इतिहास

महेश्वर का पौराणिक महत्व और इतिहास महेश्वर के अत्यंत गौरवशाली पौराणिक इतिहास के कारण ही देवी अहिल्या ने महेश्वर को राजधानी बनाया था |
इसके पूर्व महत्वपूर्ण इतिहास में यह शहर पंडित मंडन मिश्र वह उनकी धर्मपत्नी विदुषी भारती देवी की विद्वता से प्रकाशित हुआ करता था ......पूरा पढ़िए |

महेश्वर का राजवाड़ा

महेश्वर में राजवाड़ा किले के अंदर बना हुआ हे, और अवश्य देखा जाना चाहिए | यही वह स्थान है 

 

 

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राजमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर

"ईश्वर ने मुझ पर जो जिम्मेदारी सौंपी है, मुझे उसे निभाना है।
प्रजा को सुखी रखने व उनकी रक्षा का भार मुझ पर है।
सामर्थ्य व सत्ता के बल पर मैं जो कुछ भी यहाँ कर रही हूँ, उस हर कार्य के लिए मैं जिम्मेदार हूँ ......पूरा पढ़िए |

महेश्वर के मंदिर

महेश्वर मंदिरों और देवालयों का नगर है | यहाँ शिव मंदिर बहुतायत से हैं | इसी कारण यहाँ निवास करना संत तपस्वी गण पसंद करते हैं , इसे "गुप्त काशी " भी कहा जाता है | यहाँ के मुख्य मंदिरों में श्री राजराजेश्वर मंदिर, काशी-विश्वनाथ , अहिल्येश्वर महादेव , ज्वालेश्वर ......पूरा पढ़िए |