राजमाता देवी अहिल्याबाई होलकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से इस शिवालय का निर्माण किया गया था । इस मंदिर का निर्माण लगभग 34 वर्ष में हुआ था, उस समय के हिसाब से यह काफी खर्चीला निर्माण जिसमे लगभग 1.5 करोड़ रु लगे थे । इस मंदिर की ध्वजा को काफी दूरी से देखा जा सकता है।
यह मंदिर पत्थर कलाकारी का एक उत्तम उदाहरण है । पिल्लरों पर हिंदू सनातन धर्म के दशावतार मत्सी, वरह, कच्छ, वामन, नर्सिंग, परशुराम, राम, कृष्णा, बुद्ध और कल्कि अवतार के दशहरा की प्रतिमाएं हैं।
महेश्वर मंदिरों और देवालयों का नगर है | यहाँ शिव मंदिर बहुतायत से हैं | इसी कारण यहाँ निवास करना संत तपस्वी गण पसंद करते हैं , इसे "गुप्त काशी " भी कहा जाता है | यहाँ के मुख्य मंदिरों में श्री राजराजेश्वर मंदिर, काशी-विश्वनाथ , अहिल्येश्वर महादेव , ज्वालेश्वर ......पूरा पढ़िए |
महेश्वर में राजवाड़ा किले के अंदर बना हुआ हे, और अवश्य देखा जाना चाहिए | यही वह स्थान है
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रेवा सोसायटी का 1979 में महेश्वर में बुनकरों के लाभ व महेश्वरी साड़ियों के निर्माण हेतु गठन किया गया था | यह संस्था लाभ के लिए काम नही करती है होने वाले लाभ को बुनकरों के कल्याण के लिए खर्च किया जाता है |
संपर्क सूत्र :
रेवा सोसायटी
महेश्वर
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"ईश्वर ने मुझ पर जो जिम्मेदारी सौंपी है, मुझे उसे निभाना है।
प्रजा को सुखी रखने व उनकी रक्षा का भार मुझ पर है।
सामर्थ्य व सत्ता के बल पर मैं जो कुछ भी यहाँ कर रही हूँ, उस हर कार्य के लिए मैं जिम्मेदार हूँ ......पूरा पढ़िए |